चाहिए आशीष माधव, नम्र गुरुवर अर्चना।।

 

चाहिए आशीष माधव

चाहिए आशीष माधव, नम्र गुरुवर अर्चना।।

देव इंगित पर तुम्‍हारें, ध्‍येय पथ पर बढ़ रहे हैं,

आपसे ज्‍योतित, अनेकों दीप अविचल जल रहे हैं,

राष्‍ट्र मंदिर का गहन तम शीघ्र ही मिट कर रहेगा,

मातृ मंदिर में विभूषित दिव्‍य तव आराधना।। चाहिए.......

संकटों से पूर्ण पथ पर, पुण्‍य स्‍मृति तब मार्ग दर्शक,

फूल होंगे शूल सारे मित्र होंगे सब विरोधक,

दीजिये यह शक्ति ऋषिवर, बढ़ सकें पथ पर निरन्‍तर,

कर सकें साकार गुरुवर, आपकी हम कल्‍पना।। चाहिए.......

शुत्र को भी जीतता था आपका चारित्र्य उज्‍ज्‍वल,

निन्‍दकों को मत करता आपका, व्‍यवहार निर्मल,

मातृ – भू की वेदना जो, आपके उर में बसी थी,

अंश भी हम पा सकें तो पूर्ण होगी साधना।। चाहिए.......

पूज्‍य केशव थे भगीरथ, साथ लाये संघ धारा,

इष्‍ट उनको मान तुमने, भाग्‍य भारत का संवारा,

लक्ष्‍य की द्रुत पूर्ति ही हम मांगते आशीष तुमसे,

कर सकें हम शीघ्र पूरी मातृ – भू की अर्चना।। चाहिए.......