मातृभूमि गान से गूंजता रहे गगन!
स्नेह नीर से सदा फूलते रहें सुमन!!
जन्म सिद्ध भावना स्वदेश का विचार हो
रोम-रोम में रमा स्वधर्म संस्कार हो
आरती उतारते प्राण दीप हों मगन!! स्नेह नीर........
हार के सुसूत्र में मोतियों की पंक्तियाँ
ग्राम नगर प्रांत से संग्रहित शक्तियाँ
लक्ष्य-लक्ष्य रूप से राष्ट्र हो विराट तन!! स्नेह नीर.......
ऐक्य शक्ति देश की प्रगति में समर्थ हो
धर्म आसरा लिए मोक्ष काम अर्थ हो
पुण्य भूमि आज फिर ज्ञान का बने सदन!! स्नेह नीर.......